जिस प्रकार से बच्चों को विभिन्न संक्रमणकारी रोगों से बचाने के लिए टीकाकरण की आवश्यकता होती है उसी तरह से वयोवृद्ध व्यक्तियों में भी इसकी आवश्यकता होती है। इंफ्लूएंजा, न्यूमोकोक्कल न्यूमिनिया तथा टेटनस आदि रोगों के वृद्धावस्था में विशेष रुप से होने की संभावना रहती है।

इंफ्लूएंजा

इंफ्लूएंजा या फ्लू एक बहुत ही गम्भीर संसर्गीय रोग होता है जो कि इंफ्लूएंजा नामक जीवाणु से फैलता है तथा इसके कारण ज्वर,शरीर में दुखन तथा दर्द,गले में सूजन होती है तथा इसके परिणाम स्वरुप अक्सर गम्भीर जटिलताएं पैदा हो जाती हैं जैसे न्यूमीनिया, निर्जलीकरण और फ्लू के बाद वजन में कमी हो जाती है।

हर वर्ष फ्लू भिन्न भिन्न अनेक जीवाणुओं के कारण फैलता है। इसलिए,हर वर्ष,विशेषकर सर्दियों की शुरुआत से पूर्व टीका लगवाया जाना चाहिए। फ्लू के टीके के कारण कुछ दिनों के लिए हल्का ज्वर, दर्द तथा पीड़ा आदि दुष्प्रभाव रहते हैं।

चूंकि इंफ्लूएंजा का टीका मंहगा होता है,संक्रमण के उच्च जोखिम तथा इसके परिणामस्वरुप जटिलताओं की समस्या की श्रेणी में आने वाले वृद्धि व्यक्तियों को इसका टीका लगवाने की आवश्यकता पड़ती है। इनमें ह्दय, लीवर, गुर्दों के रोगियों, मधुमेह तथा जीर्ण श्वासनली शोथ से पीड़ित व्यक्ति शामिल होते हैं।

न्योमोकोक्कल न्यूमीनिया

अक्सर न्यूमोनिया न्यूमोकोक्कस नामक जीवाणु से होता है। वयोवृद्ध व्यक्तियों में युवा व्यक्तियों की तुलना में न्यूमोकोक्कल न्यूमीनिया होने की संभावना 2 से 3गुणा अधिक होती है। वयोवृद्ध व्यक्तियों में न्यूमीनिया कहीं अधिक गम्भीर हो सकता है जिससे अनेक जटिलताएं पैदा हो जाती हैं। एक प्रतिरोधक टीके से 90%तक सुरक्षा मिल सकती है। इस टीके के दुष्प्रभाव तथा सूचक चिन्ह इंफ्लूएंजा टीके के समान ही होते हैं।

टेटनस

वैश्विक प्रतिरक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को टेटनस का टीका लगाया जाता है। निरन्तर सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए इस टीके को हर 10 वर्ष की अवधि के बाद दोहराया जाना चाहिए। वृद्ध व्यक्तियों में दुर्घटनाएं तथा चोट आदि लगना एक सामान्य बात होती है तथा संभव है कि उन्होने बचपन में यह टीका न लगवाया हो। इस टीके के लगभग कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं तथा इसे हर 10 वर्ष की अवधि के बाद लगवाने की आवश्यकता पड़ती है।