औसत पौष्टिक तत्वों के सेवन से संबंधित वर्तमान डेटा से यह पता चलता है कि बड़ी उम्र के वयस्कों के साथ कैल्शियम, विटामिन डी, आयरन, ई, के, पौटेशियम तथा फाइबर के पर्याप्त सेवन के मूल्यों पर खरा न उतरने का जोखिम जुड़ा रहता है।

कैल्शियम

कैल्शियम सेवन तथा कैल्शियम अवशोषण की कार्यकुशलता उम्र के साथ साथ कम होती जाती है। हाल के अध्ययनों से यह पता चला है कि कैल्शियम की कमी तथा ओस्टेयोपोरोसिस के बीच में काफी अधिक गहरा संबंध है, जो कि चयापचयी हड्डी रोग है तथा इसमें कैल्शियम का संतुलन नकारात्मक होता है तथा बोन मॉस की हानि होती है। हमारे शरीर में विभिन्न घटक जो कैल्शियम के अवशोषण का कार्य करते हैं, उनमें सूर्य की किरणें, आहार संबंधी फाइबर तथा प्रोटीन सेवन जो कि छोटी आंत से अवशोषण की दर को बढ़ाता है, शामिल होते हैं। कैल्शियम पौधों तथा पशु आहार दोनों में पाया जाता है। दूध और इसके उत्पाद (मट्ठा, मलाई रहित दूध तथा पनीर) जैव उपलब्ध कैल्शियम के सर्वश्रेष्ठ स्रोत हैं। पादप खाद्यान्नों में हरी पत्तेदार सब्जियां, अमरनाथ, मेथी तथा ड्रमस्टिक में विशेष रुप से कैल्शियम की मात्रा बहुतायत होती है तथा कंद मूलों में टैपिओका एक बेहतर स्रोत है। चावल में कैल्शियम की कम मात्रा पाई जाती है तथा बाजरा रागी में कैल्शियम की मात्रा अधिक पाई जाती है। सूखे मेवों तथा बीजों आदि में तिल के बीजों में कैल्शियम की मात्रा अधिकतम होती है। डेयरी उत्पादों के उपभोग को प्रतिबन्धित करने वाला एक कारक लेक्टोस सहनशीलता की उच्च दर अथवा लेक्टोस असहिष्णुता का ग्रहण बोध है।

विटामिन डी

आयु बढ़ने के साथ साथ त्वचा की संश्लेषण करने की क्षमता चूंकि कम हो जाती है इसलिए वयोवृद्ध व्यक्तियों में विटामिन डी की जरुरतों को पूरा करने का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, वयोवृद्ध व्यक्तियों में निर्धारित वजन से अधिक वजन तथा मोटापे की बढ़ती दर के साथ, शरीर के वसा कम्पार्टमैन्ट्स में स्थानांतरण के कारण जैव-उपलब्धता और अधिक कम हो जाती है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त बहुत ही कम खाद्य पदार्थों में विटामिन डी पाया जाता है। मछली के मांस (जैसे सलमोन, टूना,तथा मैकेरेल) तथा फिश लीवर ऑयल विटामिन डी के सर्वश्रेष्ठ स्रोत हैं। बीफ लीवर, पनीर, अण्डे की जर्दी आदि में विटामिन डी थोड़ी मात्रा में पाया जाता है। विटामिन डी इस प्रकार के आहार में मुख्य रुप से विटामिन डी3(कोलेकैलसिफेरोल) तथा इसके मेटाबोलाईट 25 (ओ एच) डी3 के रुप में पाया जाता है।

आयरन

शरीर क्रिया विज्ञान संबंधी डेटा (जैसे विकास तथा मासिक स्राव का रुकना) तथा महिलाओं में संचित आयरन की माप आदि यह पता चलता है कि 51 वर्ष की आयु के उपरांत आयरन की आवश्यकताओं में कमी आती है। तथापि, वरिष्ठ व्यक्तियों के कुछ अंगों में आयरन की कमी विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है क्योंकि आयरन की उपलब्धता तथा अवशोषण कम हो जाता है। वरिष्ठ व्यक्ति कम मात्रा में लाल मांस खाना शुरु कर देते हैं जो कि आहार में हेमे आयरन का सर्वश्रेष्ठ स्रोत होता है। भोजन चबाने में कठिनाई तथा आर्थिक कारक अवलोकित घटाए गए सेवन में और वृद्धि कर देते हैं। पेट में स्रवित होने वाले एचसीएल में कमी, जो कि आयु बढ़ने के कारण होती है, से भी आयरन का अवशोषण कम हो सकता है अथवा अवशोषण में कमी से द्वितीयक से आंशिक अथवा सम्पूर्ण गैसट्रेक्टोमी, न्यून अवशोषण सिन्ड्रोम हो सकता है।

फाइबर

उच्च फाइबर युक्त आहार निम्न उर्जा तथा विटामिन, खनिजों तथा फाइटो-रसायनों से परिपूर्ण होते हैं। फाइबर वयोवृद्ध व्यक्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व होता है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ साथ पाचन तंत्र और अधिक धीमा हो जाता है। अपने भोजन में फाइबर से युक्त आहार के साथ नियमित गतिविधियों तथा खूब सारा पानी पीने से आपकी शौच प्रणाली नियमित बनी रहती है। वयस्कों के लिए 30-40 ग्राम प्रतिदिन फाइबर के सेवन का सुझाव दिया जाता है।

फाइबर युक्त आहार के श्रेष्ठ स्रोतों में निम्नलिखित शामिल हैं :

  • दालें और फलियां, विशेष रुप से मोटे अनाज की भिन्न भिन्न किस्में
  • फल और सब्जियां
  • बादाम आदि

फोलिक एसिड

65 वर्ष से अधिक की आयु में आरडीए 300एमसीजी/दिन है। फोलेट के सेवन में कमी से मेगालोब्लास्टिक रक्ताल्पता तथा मैक्रोसाईटोसिस विकसित हो सकते हैं। फोलेट के आहार संबंधी स्रोतों में सब्जियां, यकृत तथा गुर्दे शामिल हैं। अधिक देर तक पकाने तथा निम्न श्रेणी के भोजन विकल्प जैसे चाय और टोस्ट आहार से फोलेट नष्ट हो जाता है। अस्पताल अथवा नर्सिंग होम आदि में भर्ती वरिष्ठ व्यक्तियों में भी इसका कम सेवन पाया जा सकता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि बी 12 के सीरम स्तर में उम्र के बढ़ने के साथ गिरावट आती है। गैस्ट्रिक एट्रोफी के कारण होने वाले न्यून अवशोषण से निम्न सिरम बी12 के अनेक मामले सम्बद्ध होते हैं। बी12 की उपस्थिति में फोलिक एसिड की अधिशेष अनुपूरकता से बी 12 कमी के तंत्रिका संबंधी लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

सोडियम

वरिष्ठ व्यक्तियों के लिए स्वाद तथा सूंघने की घटी हुई संवेदना एक सामान्य बात है। इसलिए, वह अपने भोजन में तत्परता से नमक की मात्रा को बढ़ा देते हैं।

पानी

विभिन्न देशों में किए गए अध्ययनों के परिणामों के अनुसार, पुरुषों में 65 वर्ष की आयु तक तथा महिलाओं में 40 या 50 वर्ष की आयु तक, संभवत रजोनिवृति के कारण, शरीर में कुल पानी की मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता है। वरिष्ठ व्यक्तियों में फ्लूएड तथा इलेक्ट्रोलाइट उतार चढ़ावों के लिए निर्जलीकरण सबसे सामान्य कारण होता है। गुर्दों द्वारा जल के कम संरक्षण के साथ साथ प्यास की घटी हुई संवेदना तथा तरल पदार्थों के कम सेवन निर्जलीकरण के प्रमुख कारण होते हैं। मूत्रवर्धक तथा मृदुविरेचक दवाओं से द्रव्य की मात्रा तेजी से कम हो जाती है। शरीर के आदर्श वजन के अनुसार 30 से 35 मि.ली./किलोग्राम पर्याप्त जल सेवन की श्रेणी में आता है। वरिष्ठ व्यक्तियों को प्रतिदिन 6 से 8 गिलास पानी पीना चाहिए जो कि प्रतिदिन 6 कप मूत्र की मात्रा के लिए पर्याप्त है। जलयोजन स्थिति को सही सही या सटिकता के साथ परिभाषित अथवा निर्धारित करना कठिन होता है। जलयोजन स्थिति को रक्त की ओस्मोलेलिटी से दर्शाया जाता है। तथापि, इसे सामान्यतय नजदीकी रुप से 284 मोस्मोल/किलोग्राम (वरिष्ठ व्यक्तियों में थोड़ा (1-2%) बढ़ाया जाता है) तक नियंत्रित किया जाता है।

भली भांति जलयोजित रहने के लिए नुस्खे :

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दिन भर नियमित रुप से पानी का सेवन करें। प्रत्येक भोजन तथा अल्प भोजन के साथ एक पेय शामिल करें।
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आपके द्वारा पीए जाने वाली एल्कोहल की मात्रा पर ध्यान दें क्योंकि यदि आप अधिक मात्रा में एल्कोहल का सेवन करते हैं तो आपमें निर्जलीकरण हो सकता है।
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ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिनमें द्रव्य की मात्रा अधिक होती है जैसे फल, सब्जियां, सूप, दही, लस्सी, खीर, कस्टर्ड तथा आईस क्रीम आदि ।
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द्रव्य के श्रेष्ठ स्रोतों में पानी, जूस, दूध, मिनरल वाटर तथा नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी आदि हैं।
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आपके द्वारा पी जाने वाली कोला,चाय तथा काफी की मात्रा को घटाएं।