अपनी वसीयत का प्रारुप तैयार करें/लिखें

पिछले कदमों को पूरा करते हुए अपनी वसीयत की योजना बना लेने के बाद आप अपनी वसीयत को सरल, सुनिश्चित तथा स्पष्ट भाषा में लिख सकते हैं। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 74 के अनुसार “ अनिश्चितता के कारण वसीयत अमान्य होती है। एक ऐसी वसीयत जिसमें सुनिश्चित रुप से आशय को अभिव्यक्त नहीं किया जाता है तो वह अनिश्चितता के कारण अमान्य होती है।”

यदि आपको संदेह हैं अथवा आपको सलाह की आवश्यकता है तो आप किसी योग्य पेशेवर, आमतौर पर वकील से त्रुटि रहित दस्तावेज तैयार करने के लिए सम्पर्क कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपकी वसीयत कानून के अनुसार वैध तथा इसमें सभी आकस्मिकताओं को शामिल किया गया है, पेशेवर व्यक्ति की सहायता लेना। उचित रुप से प्रारुप तैयार करने पर आपको पेशेवर के साथ अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, जिससे उनकी फीस कम हो सकती है। यहां यह याद रखना जरुरी है कि किसी पेशेवर अथवा हेल्पएज इंडिया (HelpAge India) की वसीयत तैयार करने में सहायता प्राप्त करने की लागत उस कानूनी लागत से बहुत कम होगी जो, यदि आप बिना वसीयत किए मरते हैं तो, उस समय उठानी पड़ती है।

वसीयत पर हस्ताक्षर करें और इस पर साक्षी (साक्षियों) के हस्ताक्षर करवाएं

18वर्ष से उपर के दो व्यक्ति आपकी वसीयत के साक्षी होने चाहिए। इन दोनो में से एक साक्षी को आपके प्रोबेट आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर करने होंगे तथा इस बात की पुष्टि की आपने वसीयत पर हस्ताक्षर किए हैं, संभवत इस बात का सत्यापन संबंधित न्यायालय में करना होगा। इसलिए, आपके हस्ताक्षर तथा दो साक्षियों के हस्ताक्षर (आपके हस्ताक्षर का सत्यापन करने के लिए किए गए हस्ताक्षर कहा जाता है) एक ही सत्र में पूरे किए जाने चाहिए, तथा आप सभी एक ही समय तथा तारीख में एक ही कमरे में होने चाहिए। प्रत्येक साक्षा के हस्ताक्षर के नीचे, उनका पूरा नाम, आयु, वर्तमान पता तथा पेशा स्पष्ट रुप से उल्लिखित होना चाहिए। ऐसा कोई व्यक्ति जिसे वसीयत से लाभ होगा अथवा उसका पति/पत्नी सत्यापन करने वाला साक्षी नहीं हो सकता है। यदि ऐसा होता है तो भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 67 के अनुसार आपकी वसीयत अन्य वसीयतदारों के लिए वैध होगी लेकिन आपकी वसीयत ऐसे संबंधित व्यक्ति/व्यक्तियों (सत्यापनकारी साक्षी को दिया गया उपहार अथवा प्रस्तावित लाभग्राही/लाभग्राहियों की सत्यापन करने वाला पति/पत्नी) के संदर्भ में मान्य नहीं होगी।

वसीयत का पंजीकरण

रजिस्ट्रार अथवा उप-रजिस्ट्रार के यहां पर अपनी वसीयत का पंजीकरण करवाना वैकल्पिक होता है लेकिन ऐसा करना लाभदायक होता है। पंजीकरण करवाने से वसीयत प्रमाणिक हो जाती है। कभी कभी बैंकों तथा भिन्न भिन्न प्राधिकरणों में पजीकृत वसीयत की मांग की जाती है। आपको तथा आपकी वसीयत पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों को वसीयत की दो मूल हस्ताक्षरित प्रतियों, दो फोटो तथा पहचान के साक्ष्य के साथ रजिस्ट्रार के कार्यालय में जाना होगा। बहुत कम शुल्क की अदायगी करने पर वसीयत का पंजीकरण करवाया जा सकता है तथा इसमें अधिक समय नहीं लगता है (सामान्यतय आधा दिन)।

वसीयत दस्तावेज को सुरक्षित रखना

अपनी वसीयत को सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है तथा आपके विश्वसनीय रिश्तेदार, मित्र,सुरक्षित रुप से रखने से पूर्व आप अपने तथा अपने वारिस के लिए आप उसकी फोटोकापी करवा सकते हैं।